साइबर क्राइम: एक भविष्य की कड़ी चुनौती

साइबर क्राइम पखवाड़ा कल से
बीबीएन, नेटवर्क। देश में बढ़ते साइबर अपराधों को देखते हुए इंडियन साइबर क्राइम कोऑर्डिनेशन सेंटर (I4C) की ओर से एक अहम पहल की जा रही है। I4C के नोडल अधिकारी दिलीप कुमार लालवानी ने जानकारी दी है कि Wtn Technologies Pvt. Ltd. के माध्यम से 18 मई 2025, रविवार से एक ऑनलाइन साइबर क्राइम सुरक्षा पखवाड़ा की शुरुआत की जा रही है। यह अभियान www.wtntechnologies.co.in पोर्टल पर आयोजित होगा। अभियान का उद्देश्य आम नागरिकों को साइबर अपराध की विभिन्न श्रेणियों, इसके तौर-तरीकों, इससे बचाव के उपायों और साइबर ठगी होने की स्थिति में तत्काल किए जाने वाले उपायों की जानकारी देना है। लोगों से अपील की गई है कि वे इस जानकारी को अपने प्रियजनों के साथ साझा करें ताकि अधिक से अधिक लोग साइबर अपराधों के प्रति सतर्क हो सकें और भविष्य में संभावित धोखाधड़ी से बचाव कर सकें।
पांव पसार रहा है अदृश्य खतरा
डिजिटल युग में जहां तकनीक ने जीवन को सरल और सुविधाजनक बनाया है, वहीं एक अदृश्य खतरा भी तेजी से पांव पसार रहा है—साइबर क्राइम। इंटरनेट की बढ़ती पहुँच और डिजिटल लेनदेन के विस्तार ने अपराधियों को एक नया मंच दे दिया है, जहाँ वे महज कुछ क्लिक से लोगों की पहचान, धन और गोपनीयता को चुटकियों में लूट लेते हैं।
कैसे रहें साइबर क्राइम से सावधान?
साइबर अपराधों से बचाव की पहली शर्त है — सचेत रहना। विशेषज्ञों की मानें तो अधिकांश साइबर हमले लापरवाही का फायदा उठाकर होते हैं। बैंकिंग या डिजिटल भुगतान से जुड़ी कोई भी जानकारी कभी साझा न करें, खासकर अज्ञात लिंक या कॉल पर। दो-चरणीय प्रमाणीकरण (two-factor authentication) अपनाएं और नियमित अंतराल पर पासवर्ड बदलते रहें। सरकार और साइबर सुरक्षा एजेंसियाँ लगातार अलर्ट जारी करती हैं, लेकिन आम नागरिक की सतर्कता सबसे कारगर सुरक्षा कवच है।
साइबर अपराधों में बढ़ोतरी के पीछे कई कारण हैं
- तकनीक का गलत इस्तेमाल: इंटरनेट के प्रसार ने जहां अवसर दिए हैं, वहीं अपराधियों को भी नया क्षेत्र मुहैया कराया है
- कानूनी और निगरानी की सीमाएं: साइबर अपराधियों की पहचान और गिरफ्तारी एक जटिल प्रक्रिया है, खासकर जब अपराधी विदेशों में बैठे हों
- जन-जागरूकता की कमी: अभी भी बहुत से लोग फिशिंग, मॉलवेयर, और डेटा चोरी जैसे शब्दों से अपरिचित हैं।
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, पिछले तीन वर्षों में साइबर क्राइम मामलों में 70% से अधिक की वृद्धि दर्ज की गई है। इनमें ऑनलाइन फ्रॉड, डेटा हैकिंग, और सोशल मीडिया से जुड़ी धोखाधड़ी शामिल हैं।
आगे की राह
सरकार ने इंडियन साइबर क्राइम कोऑर्डिनेशन सेंटर (I4C) की स्थापना की है और नागरिकों को cybercrime.gov.in पोर्टल के माध्यम से शिकायत दर्ज कराने की सुविधा दी गई है। लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि केवल कानून नहीं, नागरिकों की भागीदारी और डिजिटल साक्षरता ही साइबर क्राइम की इस चुनौती का असली समाधान है। भविष्य डिजिटल है लेकिन तभी जब हम अपने डेटा, व्यवहार और आदतों को भी उसी हिसाब से सुरक्षित बनाएं। वरना एक क्लिक, आपकी दुनिया उलट सकता है।