
बीबीएन,बीकानेर, 1 अक्टूबर। कृषि अनुसंधान के क्षेत्र में नवाचार और मरुस्थलीय खेती को नई दिशा देने वाले भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के अधीन केंद्रीय शुष्क बागवानी संस्थान ने अपने 33वें स्थापना दिवस का आयोजन उत्साहपूर्वक संपन्न किया।
कार्यक्रम का शुभारंभ संस्थान के निदेशक डॉ. जगदीश राणा ने अतिथियों के स्वागत और संस्थान की उपलब्धियों के संक्षिप्त परिचय के साथ किया। उन्होंने बताया कि कैसे संस्थान ने मरुस्थलीय परिस्थितियों में बागवानी और फलोत्पादन को संभव बनाया है।
इस अवसर पर मुख्य अतिथि प्रो. मनोज निहित्र, एमएस विश्वविद्यालय, गाड़ी सागर ने कहा कि ओशो के विचारों की भांति भारतीय कृषि भी आत्मनिर्भरता और सृजनशीलता की प्रतीक है। उन्होंने संस्थान द्वारा विकसित तकनीकों की सराहना करते हुए कहा कि “मरुस्थल में हरियाली की दिशा में यह प्रयास भारत को 2047 तक विकसित राष्ट्र बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान हैं।” उन्होंने कहा कि भारत की कृषि और बागवानी केवल आर्थिक विकास का माध्यम नहीं बल्कि यह संस्कृति, पर्यावरण और आत्मनिर्भरता का आधार भी है। यहाँ बेर, रूली, खेजड़ी जैसे वृक्ष न केवल जीवन के प्रतीक हैं बल्कि पारिस्थितिक संतुलन के प्रहरी भी हैं।
इस अवसर पर निदेशक डॉ. अनिल कुमार इवाचिया ने कहा कि बागवानी उत्पादों की मांग में तीव्र वृद्धि हुई है, ऐसे में किसानों को मूल्य संवर्धन, प्रसंस्करण तकनीक और विपणन प्रबंधन पर विशेष ध्यान देना होगा। संस्थान के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. डी.सी. लखनिया ने ‘शुष्क बागवानी की यात्रा’ विषय पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए बताया कि “33 वर्षों की यात्रा में संस्थान ने न केवल तकनीकी नवाचार किए, बल्कि हजारों किसानों को आत्मनिर्भर बनने की राह दिखाई।”
कार्यक्रम में क्षेत्रीय केंद्र कोडमर्रा के प्रमुख डॉ. ए.के. सिंह ने बेर, नींबू, अनार, अंजीर जैसे फलों की प्रौद्योगिकीय प्रगति की जानकारी दी और बताया कि संस्थान की कई तकनीकें अब राष्ट्रीय स्तर पर अपनाई जा रही हैं। स्थापना दिवस पर वैज्ञानिकों द्वारा प्रकाशित कई अनुसंधान पत्रों और सूचनापत्रों का विमोचन भी किया गया। साथ ही, डॉ. एस.आर. मीणा, डॉ. बी.आर. चौधरी तथा श्री रुपचंद बलाई ने संस्थान की नई तकनीकों पर प्रस्तुतियाँ दीं।
कार्यक्रम में संस्थान परिवार ने अपने पूर्व निदेशकों डॉ. राजेन्द्र सिंह इरकसना और डॉ. अरविंद प्रकाश पारीख को सम्मानित किया। इस अवसर पर वैज्ञानिक श्री पृथ्वीराज सिंह को उत्कृष्ट कार्य हेतु विशेष सम्मान प्रदान किया गया। संस्थान की विभिन्न परियोजनाओं से लाभान्वित किसानों ,पुष्कर सिंह (लखसरी), तन्नू सिंह (बीकानेर), जगदीश प्रसाद (नखासर), यशोवर्धन सिंह (हनुमानगढ़), सुजनलाल (डोक्यार), चंद्रलाल (जूनागढ़), राकेश लोह (खाजूवाला) आदि को भी सम्मानित किया गया।
समारोह के समापन पर सभी किसानों को ‘उन्नत पौध वितरण योजना’ के तहत रूली और बरसाना प्रजातियों के पौधे वितरित किए गए तथा उन्हें फलोत्पादन और प्रसंस्करण की तकनीक संबंधी जानकारी दी गई।