
बीबीएन, नेटवर्क, 28 जुलाई। अंतरराष्ट्रीय सीमा पर हुई एक बड़ी सुरक्षा कार्रवाई में सीमा सुरक्षा बल (BSF) ने ड्रग्स तस्करी की एक कोशिश को विफल कर दिया। घटना त्रिपुरा के दक्षिणी हिस्से में उस समय हुई जब दो बांग्लादेशी नागरिक कथित रूप से प्रतिबंधित दवाओं विशेष रूप से वियाग्रा की गोलियों की तस्करी के इरादे से भारतीय सीमा में प्रवेश करने का प्रयास कर रहे थे।
बीएसएफ सूत्रों के अनुसार, यह घटना रात करीब ढाई से साढ़े तीन बजे के बीच घटी, जब संदिग्धों ने बेलोनिया सेक्टर में घुसपैठ की कोशिश की। रोकने पर दोनों ओर से गोलीबारी हुई, जिसमें दो बांग्लादेशी नागरिक मारे गए। मरने वालों में एक की पहचान लिटन मियां के रूप में हुई है। उसका शव भारतीय सीमा क्षेत्र में मिला, जिसे पोस्टमार्टम के बाद बांग्लादेशी अधिकारियों को सौंप दिया गया है। दूसरा तस्कर घायल अवस्था में बांग्लादेशी इलाके में पहुंचा, लेकिन इलाज के दौरान उसकी भी मौत हो गई।
लाखों रुपये मूल्य की प्रतिबंधित सामग्री जब्त
बीएसएफ और स्थानीय पुलिस के अनुसार, दोनों तस्करों के पास से करीब 14 से 15 लाख रुपये मूल्य की प्रतिबंधित दवाएं और अन्य सामग्री बरामद की गई है। यह कार्रवाई भारत-बांग्लादेश सीमा पर हो रही तस्करी की बढ़ती घटनाओं के मद्देनज़र सुरक्षा एजेंसियों की सजगता को रेखांकित करती है।
दो भारतीय नागरिक भी गिरफ्तार
घटना के अगले दिन, शुक्रवार को बेलोनिया पुलिस स्टेशन में दर्ज मामले के तहत दो भारतीय नागरिकों को भी गिरफ्तार किया गया है। इन पर सार्वजनिक संपत्ति क्षति निवारण अधिनियम, पासपोर्ट अधिनियम तथा हत्या के प्रयास जैसे गंभीर आरोप लगाए गए हैं। शनिवार को इन्हें स्थानीय न्यायालय में पेश किया गया।
बीएसएफ ने आत्मरक्षा में चलाई गोली
दक्षिण त्रिपुरा जिले के एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी के अनुसार, बीएसएफ जवानों ने उस समय गोली चलाई जब लगभग 10-15 तस्करों का समूह लकड़ी के तख्तों की मदद से कांटेदार तारों को पार करने की कोशिश कर रहा था। बीएसएफ जवान ने उन्हें रुकने और आत्मसमर्पण करने के लिए कहा, लेकिन कथित तस्करों ने गालियां देते हुए हमला करने की कोशिश की।
हालांकि, बीएसएफ की ओर से इस घटना पर कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया गया है, लेकिन सूत्रों ने बताया कि जवानों को आत्मरक्षा में फायरिंग करनी पड़ी। इस गोलीबारी में एक तस्कर मौके पर ही मारा गया जबकि दूसरा घायल होकर भागते समय मरा।
सीमांत सुरक्षा को लेकर गहराती चिंताएं
यह घटना भारत-बांग्लादेश सीमा पर सक्रिय तस्करी नेटवर्क और उनकी बढ़ती दुस्साहसिकता को उजागर करती है। साथ ही यह सवाल भी उठता है कि आखिर इन तस्करी नेटवर्कों को सीमापार कौन संरक्षण दे रहा है और इन पर प्रभावी नियंत्रण कब तक संभव होगा?
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