
बीबीएन, नेटवर्क, 31 जुलाई। लंबी बातचीत के बाद भारत और ब्रिटेन के बीच फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (FTA) पर आखिरकार हस्ताक्षर हो गए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ब्रिटेन के प्रधानमंत्री किएर स्टार्मर की मौजूदगी में गुरुवार को इस समझौते को अंतिम रूप दिया गया। माना जा रहा है कि यह डील दोनों देशों के बीच सालाना 34 अरब डॉलर के व्यापार को नई रफ्तार देगी।
समझौते के तहत ब्रिटेन को किए जाने वाले 99 फीसदी भारतीय निर्यातों पर शुल्क समाप्त हो जाएगा। इसमें कपड़ा, जेनेरिक दवाएं, चिकित्सा उपकरण, चमड़े के सामान और कृषि व रासायनिक उत्पाद शामिल हैं। दूसरी ओर ब्रिटिश कंपनियों के लिए भारत में व्हिस्की, कार और अन्य प्रोडक्ट्स का निर्यात आसान हो जाएगा। भारत में 90 फीसदी ब्रिटिश उत्पादों पर कस्टम ड्यूटी घटेगी।
ब्रिटिश व्हिस्की और जिन होंगे सस्ते
एफटीए के बाद ब्रिटिश व्हिस्की पर मौजूदा 150 फीसदी शुल्क घटाकर 75 फीसदी कर दिया जाएगा और अगले दस सालों में इसे 40 फीसदी तक लाने का लक्ष्य है। इसका असर सीधे उपभोक्ताओं की जेब पर दिखेगा। जॉनी वॉकर, चिवास रीगल, सिंगल माल्ट स्कॉच, ग्लेनमोरांजी, जुरा जैसी व्हिस्की और टैनक्वेरे, बॉम्बे सैफायर, बिफीटर, गॉर्डन्स जैसे प्रीमियम जिन ब्रांड अब पहले से सस्ते होंगे।
अनुमान है कि 3000 रुपये की स्कॉच व्हिस्की की बोतल एफटीए के बाद करीब 1200 रुपये में और 4000 रुपये की जिन करीब 1600 रुपये में उपलब्ध हो सकती है।
गोवा की फेनी, नासिक की वाइन और केरल की ताड़ी को मिला नया बाजार
समझौते से भारतीय पारंपरिक पेय पदार्थों के लिए भी नया रास्ता खुला है। गोवा की मशहूर फेनी, नासिक की वाइन और केरल की ताड़ी को ब्रिटेन के रिटेल बाजार और हाई-एंड हॉस्पिटैलिटी सेक्टर में जगह मिलेगी। यह कदम भारतीय मादक पेयों को वैश्विक स्तर पर नई पहचान दिलाने वाला साबित हो सकता है।
अरब डॉलर का लक्ष्य
अभी भारतीय अल्कोहल पेय पदार्थों का निर्यात 370.5 मिलियन डॉलर का है। एफटीए के बाद सरकार का लक्ष्य है कि 2030 तक यह आंकड़ा 1 अरब डॉलर को पार कर जाए।
यह समझौता भारत का अब तक का सबसे बड़ा व्यापारिक कदम माना जा रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि इससे न केवल निर्यात को मजबूती मिलेगी बल्कि निवेश आकर्षित करने की राह भी आसान होगी।
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