
बीबीएन, नेटवर्क, 2 अगस्त। जयपुर शहर बीजेपी की कार्यकारिणी की वह बहुचर्चित लिस्ट, जो महज़ कुछ मिनटों के लिए सोशल मीडिया पर आई और फिर रहस्यमय ढंग से गायब हो गई।
लेकिन मसला सिर्फ लिस्ट के डिलीट होने तक सीमित नहीं रहा। दरअसल, लिस्ट में कई नाम ऐसे थे जिनके आगे खुलकर लिखा गया था—”सीएम साहब के निर्देश पर” या “डिप्टी सीएम दीया कुमारी की सिफारिश पर”। यानी सिफारिशें खुद अपना परिचय दे रही थीं।
सूत्रों के मुताबिक, लिस्ट में 34 नाम थे, जिनमें से 22 नाम ऐसे निकले जो किसी न किसी ‘बड़े नेता’ की सिफारिश से कार्यकारिणी तक पहुँचे थे। पार्टी के भीतर यह सवाल तेज़ी से गूंजने लगा—यह कौन सी ‘गलती’ थी, जिसमें नेता जी के सिफारिशी नोट तक टाइप होकर लिस्ट में चिपक गए?
फेसबुक पर फूटा पार्टी कार्यकर्ताओं का गुस्सा
जैसे ही यह लिस्ट वायरल हुई, पार्टी के भीतर उबाल आ गया। जयपुर महिला मोर्चा की जिलाध्यक्ष अनुराधा माहेश्वरी ने अपनी नाराज़गी खुले तौर पर फेसबुक पर जाहिर की। उनके समर्थकों ने भी जमकर कमेंट किए। इसे लेकर शहर की सियासी गलियों में यह नया नाम गूंजने लगा—’सिफारिशगेट’।
पार्टी नेताओं के भीतर यह सवाल उठ रहा है कि क्या अब संगठन में काम की जगह ‘किसके कहने पर आए हो’ ज्यादा मायने रखता है?
कंप्यूटर ऑपरेटर से हुई ‘ग़लती’?
बीजेपी शहर अध्यक्ष अमित गोयल ने शुक्रवार सुबह जैसे ही लिस्ट सोशल मीडिया पर साझा की, कुछ ही मिनटों में उसे डिलीट कर दिया गया। वजह पूछी गई तो सफाई आई—”कंप्यूटर ऑपरेटर से गलती हो गई!” लेकिन सवाल यह है कि इतनी बड़ी ‘ग़लती’ कैसे हुई, जिसमें सिफारिशी नोट तक टाइप हो गए?
‘टैलेंट हंट’ या ‘सिफारिश हंट’?
लिस्ट में कई नाम ऐसे भी थे जो किसी परिचय के मोहताज नहीं। बालमुकुंदाचार्य, मंजू शर्मा, कालीचरण साराफ, अशोक परनामी जैसे दिग्गजों की छाया में कई नामों को सूची में जगह मिली। ऐसा लग रहा है जैसे पार्टी में कोई नया ‘टैलेंट हंट’ नहीं बल्कि ‘सिफारिश हंट’ चल रहा हो।
अब क्या होगी सियासी सफाई?
अब कार्यकारिणी की लिस्ट दोबारा तैयार हो रही है—इस बार बिना टिप्पणियों वाली, ‘साफ-सुथरी’। लेकिन सवाल वहीं का वहीं है—राजनीति में गलती से कुछ पोस्ट होना जितना मुश्किल है, उतना ही मुश्किल है उस पर यक़ीन करना।