
बलजीत गिल.
पश्चिमी सीमा से लगातार मिल रही नाकामियां ओर पिछले युद्धों के कड़वे तुज़ुर्बों से आहत पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर एक नया मोर्चा खोलने की फ़िराक़ में है। नई दिल्ली के रणनीतिक हलकों में हलचल मचाते हुए, पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर ने कथित तौर पर इशारा किया है कि इस्लामाबाद अपनी सैन्य रणनीति का कुछ हिस्सा पारंपरिक पश्चिमी मोर्चे (नियंत्रण रेखा) से हटाकर भारत की पूर्वी सीमा , विशेष रूप से बांग्लादेश के रास्ते पर केंद्रित कर सकता है।
एक वरिष्ठ पाकिस्तानी सैन्य अधिकारी के हवाले से लीक हुई जानकारी के मुताबिक, इस योजना में “भू-राजनीतिक और उप-पारंपरिक विकल्पों” का इस्तेमाल करते हुए दक्षिण एशिया के पूर्वी क्षेत्र में दबाव बनाने की सोच शामिल है।
LoC से पद्मा तक: शतरंज की बिसात का विस्तार
दशकों से पाकिस्तान की रणनीतिक चालें कश्मीर और LoC के इर्द-गिर्द घूमती रही हैं। पूर्वी मोर्चे का जिक्र इस बात का संकेत है कि इस खेल में एक नया दबाव बिंदु खोला जा सकता है। विश्लेषकों का कहना है कि इसमें बांग्लादेश के राजनीतिक या गैर-राज्य तत्वों पर प्रभाव डालने की कोशिश, सीमा की कमजोर कड़ियों का फायदा उठाना, और तस्करी व चरमपंथी नेटवर्क को फिर से सक्रिय करने की संभावनाएं शामिल हो सकती हैं। हालांकि, भारत के साथ बांग्लादेश के मौजूदा घनिष्ठ संबंध और ढाका द्वारा उग्रवादी संगठनों पर कड़ी कार्रवाई इस रणनीति को लागू करने की राह में बड़ी बाधा हैं।
चीन फैक्टर और क्षेत्रीय संदेश
रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि यह संदेश जितना नई दिल्ली के लिए है, उतना ही बीजिंग के लिए भी है। भारत के खिलाफ बहु-मोर्चीय चुनौती का संकेत देकर पाकिस्तान शायद चीन की सामरिक सोच के साथ खुद को जोड़ने की कोशिश कर रहा है — खासकर ऐसे समय में जब वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर भारत-चीन तनाव पूरी तरह खत्म नहीं हुआ है।
भारत की भावी तैयारियां
भारत ने पूर्वी सीमा पर बहु-स्तरीय सुरक्षा ढांचा तैयार किया है, जिसमें सीमा सुरक्षा बल (BSF), खुफिया एजेंसियां और ढाका के साथ मजबूत कूटनीतिक संबंध शामिल हैं। वरिष्ठ सेवानिवृत्त सैन्य अधिकारियों का मानना है कि इस्लामाबाद की बयानबाज़ी तुरंत किसी बड़े सैन्य बदलाव में नहीं बदलेगी, लेकिन यह संकेत देती है कि पूर्वी मोर्चे को हल्के में नहीं लिया जा सकता।
“यह केवल भूगोल का मामला नहीं, बल्कि राजनीतिक संदेश है,” लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) डी.एस. हुड्डा कहते हैं। “पाकिस्तान के इस उल्लेख से भारत को क्षेत्र में अपनी हार्ड और सॉफ्ट पावर उपस्थिति दोनों को बनाए रखने की ज़रूरत है।”