
बीबीएन, नेटवर्क, 20 अगस्त। सूबे में फर्जी राशन कार्डों को लेकर बड़ा खुलासा हुआ है। फर्जीवाड़े के सामने आने के बाद केंद्र सरकार ने मुफ्त राशन योजना का दायरा केवल वास्तविक जरूरतमंदों तक सीमित करने की कवायद शुरू कर दी है। पहली बार, उन राशन कार्डधारकों की पहचान कर ली गई है जो योजना का लाभ लेने के पात्र नहीं हैं। इसमें आयकरदाता, चार-पहिया वाहन मालिक और कंपनियों के निदेशक जैसे समृद्ध वर्ग शामिल हैं।
खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग ने इन अपात्र कार्डधारकों की सूची आयकर विभाग, सड़क परिवहन मंत्रालय और कॉर्पोरेट कार्य मंत्रालय जैसे सरकारी एजेंसियों के डाटाबेस से मिलान कर तैयार की है। जांच में सामने आया कि करीब 94.71 लाख कार्डधारक आयकर चुकाते हैं, 17.51 लाख चार-पहिया वाहन मालिक हैं और 5.31 लाख लोग कंपनियों के निदेशक हैं। इस तरह लगभग 1.17 करोड़ राशन कार्डधारक अब योजना के दायरे से बाहर होंगे।
केंद्र ने राज्यों को निर्देश दिया है कि 30 सितंबर 2025 तक इन अपात्र लाभार्थियों को सूची से हटा दिया जाए। राज्यों को स्थानीय स्तर पर तैयार सूची उपलब्ध करा दी गई है, ताकि पीडीएस का लाभ लेने वाले लोग अपनी स्थिति की जांच कर सकें।
खाद्य विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने स्पष्ट किया कि यह पहल अपात्र व डुप्लीकेट कार्ड हटाकर वास्तविक जरूरतमंदों को सूची में शामिल करने के लिए है। अधिकारी के मुताबिक, “डेटाबेस की शुद्धता से वंचित परिवारों तक योजना का लाभ पहुंचेगा और वितरण प्रणाली की पारदर्शिता सुनिश्चित होगी।”
राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA) के तहत अब तक 19.17 करोड़ राशन कार्ड जारी किए जा चुके हैं, जिनसे 76.10 करोड़ लाभार्थी जुड़े हैं। नियमों के अनुसार, सरकारी कर्मचारी, सालाना एक लाख रुपये से अधिक आय वाले परिवार, चार-पहिया वाहन मालिक और करदाता इस योजना के लिए पात्र नहीं माने जाएंगे।
8 जुलाई 2025 को राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों को भेजे पत्र में खाद्य सचिव संजीव चोपड़ा ने कहा था कि यह कवायद ‘सही हाथों तक राशन’ पहुंचाने की दिशा में उठाया गया कदम है। उन्होंने बताया कि विभिन्न मंत्रालयों और एजेंसियों जैसे CBDT, CBIC, MCA, MoRTH और PM-किसान के डाटाबेस से सूचनाएं मिलाकर यह पहचान की गई है। सरकार का मानना है कि 30 सितंबर तक यह कार्य पूरा होने से सार्वजनिक वितरण प्रणाली और अधिक पारदर्शी और भरोसेमंद बनेगी।
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