
बीबीएन, नेटवर्क, 13 सितंबर। जोधपुर सीएमएचओ के रिकॉर्ड में भंवरी देवी अभी भी जिंदा है। जोधपुर सीएमएचओ कार्यालय ने भंवरी देवी का मृत्यु प्रमाण पत्र न होने की दलील कोर्ट के समक्ष रखी है। जी हां… बहुचर्चित भंवरी देवी हत्या प्रकरण से जुड़ा मामला एक बार फिर राजस्थान हाईकोर्ट में गूंज उठा है।
अदालत ने स्पष्ट आदेशों के बावजूद मृतका भंवरी देवी के वारिसों को पेंशन और सेवा लाभ न दिए जाने पर गंभीर रूख अपनाया है। न्यायमूर्ति रेखा बोराणा की एकलपीठ ने 21 माह तक आदेश का पालन नहीं होने पर अवमानना याचिका में नोटिस जारी कर चिकित्सा सचिव, जोधपुर सीएमएचओ, पेंशन विभाग तथा एलआईसी सहित संबंधित अधिकारियों से जवाब मांगा है।
याचिका भंवरी देवी के पुत्र साहिल पेमाावत और उनकी दोनों पुत्रियों की ओर से अधिवक्ता यशपाल खिलेरी ने पेश की। याचिका में कहा गया कि 1 सितंबर 2011 को भंवरी देवी की हत्या के बाद से अब तक सेवा लाभ और नियमित पेंशन का भुगतान नहीं हुआ। हाईकोर्ट ने 12 जनवरी 2024 को रिट याचिका स्वीकारते हुए आदेश दिया था कि मृतका के समस्त बकाया सेवा लाभ, देय पेंशन और अन्य सेवानिवृत्ति लाभ की गणना कर चार माह के भीतर वारिसों को भुगतान किया जाए। साथ ही आदेश में ब्याज सहित भुगतान का भी प्रावधान किया गया था। अदालत ने यह भी कहा था कि चिकित्सा विभाग मृतका के मृत्यु संबंधी आवश्यक दस्तावेज और सेवा बुक अधीनस्थ न्यायालय से प्राप्त कर सकता है।
भंवरी देवी का मामला पिछले एक दशक से भी अधिक समय से चर्चा में है। 1 सितंबर 2011 को हुई हत्या ने पूरे राजस्थान में हलचल मचा दी थी। तब से परिवार न्याय और सेवा लाभ पाने के लिए संघर्षरत है। हाईकोर्ट ने अब फिर से अधिकारियों को कड़ी फटकार लगाते हुए स्पष्ट कर दिया है कि आदेश की अवहेलना बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
याचिका में बताया गया कि 21 माह बीत जाने के बावजूद न तो पेंशन का भुगतान हुआ और न ही सेवा लाभ दिया गया। जोधपुर सीएमएचओ कार्यालय ने भंवरी देवी का मृत्यु प्रमाण पत्र न होने का बहाना बनाकर मामला लंबित रखा। जबकि रिकॉर्ड में है कि तत्कालीन जोधपुर सीएमएचओ ने 16 जनवरी 2012 को आदेश जारी कर सेवा से पृथक करने का आदेश दिया था। साथ ही निदेशक चिकित्सा विभाग जयपुर ने 28 फरवरी 2012 को भंवरी देवी के पुत्र को अनुकंपा नियुक्ति प्रदान की थी। इसके बावजूद वर्तमान में जोधपुर सीएमएचओ कार्यालय मृतका को मृत मानने तक को तैयार नहीं है।
याचिका में यह भी उल्लेख किया गया कि जोधपुर सीएमएचओ कार्यालय ने अधीनस्थ न्यायालय से भंवरी देवी की मूल सेवा पुस्तिका मंगवाने तक की कोई कार्रवाई नहीं की। अदालत के आदेश की खुली अवहेलना की जा रही है। अवमानना याचिका की सुनवाई के बाद न्यायाधीश रेखा बोराणा ने चिकित्सा सचिव गायत्री राठौड़, निदेशक चिकित्सा निदेशालय राकेश कुमार शर्मा, जोधपुर सीएमएचओ डॉ. सुरेंद्र सिंह शेखावत, पेंशन विभाग और एलआईसी सहित अन्य को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।
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