
25-35 फीसदी तक बढ़ सकती है वायुसेना के लड़ाकू स्क्वाड्रनों की संख्या
बीबीएन, नेटवर्क, 24 सितंबर। भारतीय वायुसेना आने वाले समय में अपनी शक्ति का दायरा अनिवार्य 42 स्क्वाड्रन से आगे ले जाने की तैयारी में है। रक्षा सूत्रों के मुताबिक मौजूदा भू-राजनीतिक हालात और दक्षिण एशिया क्षेत्र में लगातार बदलते समीकरणों को देखते हुए 42 स्क्वाड्रन की संख्या अब अपर्याप्त मानी जा रही है।
सूत्रों का कहना है कि आंतरिक समीक्षा के बाद इस निष्कर्ष पर पहुँचा गया है कि भारत को दो मोर्चों पर संभावित युद्ध की स्थिति का सामना करना पड़ सकता है और ऐसे परिदृश्य में 42 स्क्वाड्रन की तय सीमा देश की सुरक्षा जरूरतों को पूरा नहीं कर पाएगी। इसीलिए स्क्वाड्रनों की संख्या में 25 से 35 प्रतिशत तक वृद्धि पर गंभीर विचार चल रहा है।
हाल ही में संपन्न ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के चार महीने बाद यह बहस तेज हुई है। सेना के वरिष्ठ अधिकारियों का मानना है कि चीन अपने हथियारों और रणनीति को परखने के लिए वास्तविक संघर्षों का इस्तेमाल ‘लाइव लैब’ की तरह कर रहा है। उप-सेना प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल राहुल सिंह ने भी नई दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम में इस खतरे की ओर इशारा किया।
फिलहाल भारतीय वायुसेना घटती स्क्वाड्रनों की चुनौती का सामना कर रही है। प्रत्येक स्क्वाड्रन में 16 से 18 जेट होते हैं। सूत्रों के मुताबिक, यदि नई संख्या पर सहमति बनती है तो इसे अमल में लाने से पहले सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति की मंजूरी आवश्यक होगी।
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