
बीकानेर दशहरा झांकी में रावण का किरदार बना आस्था का प्रतीक
बीबीएन,बीकानेर, 1 अक्टूबर। कहते हैं, बहन की रक्षा के लिए भाई कुछ भी कर सकता है। ऐसा ही एक किस्सा ‘रामायण’ में भी मिलता है, जब रावण ने अपनी बहन शूर्पणखा के सम्मान की खातिर स्वयं भगवान राम से युद्ध किया। शायद इसी भावना से प्रेरित होकर बीकानेर का आहूजा परिवार पिछले 60 वर्षों से दशहरा झांकी में रावण का किरदार निभा रहा है।
यह परंपरा परिवार के दादा स्वर्गीय माधवदास आहूजा ने शुरू की थी। उन्होंने बीकानेर दशहरा कमेटी की झांकी में रावण बनकर धर्म और मर्यादा का संदेश दिया। उनके बाद आयकर अधिकारी शिवाजी आहूजा ने 25 साल तक इस परंपरा को आगे बढ़ाया। अब, तीसरी पीढ़ी के कुमार आहूजा, जो पेशे से रंगकर्मी और पत्रकार हैं, पिछले 23 सालों से इस भूमिका को निभा रहे हैं।
कुमार आहूजा जब झांकी में रावण का रूप धरकर निकलते हैं तो उनका गगनभेदी अट्टहास पूरे मार्ग को गूंजा देता है। वे बच्चों को ट्रॉफियाँ बांटते हैं और दर्शकों को याद दिलाते हैं कि रावण सिर्फ अहंकार का नहीं, बल्कि ज्ञान, साहस और निष्ठा का प्रतीक भी था। बीकानेर की जय नारायण व्यास कॉलोनी में रहने वाले इस परिवार के लिए यह किरदार अब आस्था का प्रतीक बन चुका है। परिवार की महिला मुखिया श्रीमती कांता आहूजा को लोग प्रेम से मंदोदरी भाभी कहकर पुकारते हैं। मोहल्ले में यह नाम अब सम्मान और गौरव का पर्याय बन चुका है।
करनीसिंह स्टेडियम में होने वाले मुख्य दशहरा पर्व पर जब झांकी पहुंचती है, तो रावण के रूप में आहूजा परिवार की तीसरी पीढ़ी का जोश और समर्पण देखने लायक होता है। यह परिवार यह साबित कर रहा है कि परंपरा सिर्फ निभाई नहीं जाती, दिल से जी जाती है।
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