
राजस्थान की सियासत में फिर उठा विवाद
बीबीएन, नेटवर्क, 5 सितंबर। सूबे की सियासत एक बार फिर विवादों के घेरे में है। बीजेपी विधायक शंकर सिंह रावत (ब्यावर) की बेटी और करेडा (भीलवाड़ा) की तहसीलदार कंचन चौहान पर गंभीर आरोप लगे हैं। शिकायत में दावा किया गया है कि उन्होंने फर्जी दिव्यांगता प्रमाण पत्र का इस्तेमाल कर राजस्थान प्रशासनिक सेवा (RAS) परीक्षा-2018 में चयन पाया और सरकारी नौकरी हासिल की। मामले की गंभीरता को देखते हुए निदेशालय विशेष योग्यजन ने इस पूरे प्रकरण की जांच की सिफारिश की है।
सूत्रों के अनुसार, यह शिकायत सबसे पहले 12 अगस्त को ब्यावर निवासी फणीश कुमार सोनी ने सीएम पोर्टल पर दर्ज कराई थी। उनका आरोप है कि कंचन चौहान ने झूठे दस्तावेज लगाकर न केवल परीक्षा पास की बल्कि बाद में तहसीलदार पद तक पदोन्नत हो गईं। शिकायतकर्ता ने कंचन के शैक्षणिक प्रमाणपत्रों और मेडिकल रिपोर्टों की भी जांच की मांग की है।
शिकायत में यह भी कहा गया है कि जिन डॉक्टरों ने दिव्यांगता प्रमाण पत्र जारी किया था, वे अब स्वेच्छिक सेवानिवृत्ति ले चुके हैं। ऐसे में शिकायतकर्ता का कहना है कि नए मेडिकल बोर्ड के जरिए कंचन का दोबारा परीक्षण कराया जाए।
हालांकि, विधायक शंकर सिंह रावत ने इन सभी आरोपों को नकारते हुए कहा है कि यह व्यक्तिगत रंजिश और राजनीतिक साजिश का हिस्सा है। उनका दावा है कि शिकायतकर्ता पहले एक जमीनी विवाद में मदद मांगने आया था और नियम विरुद्ध कार्य न करने पर उसने बदले की भावना से यह शिकायत दर्ज कराई।
कंचन चौहान ने भी अपनी ओर से सफाई दी है कि उन्होंने 2013 और 2016 में भी RAS परीक्षा दी थी, परंतु सफलता नहीं मिली। 2018 की परीक्षा में उन्हें करीब 600वीं रैंक हासिल हुई और 2021 में उन्हें पहली नियुक्ति नायब तहसीलदार गुलाबपुरा में मिली। इसके बाद करेडा तहसीलदार के पद पर पोस्टिंग दी गई।
फिलहाल, मामला लगातार तूल पकड़ता जा रहा है। एक ओर शिकायतकर्ता दस्तावेज़ों और मेडिकल जांच पर अड़े हुए हैं, तो दूसरी ओर विधायक रावत इसे निराधार बता रहे हैं। अब सबकी नजरें राजस्व बोर्ड और निदेशालय की जांच रिपोर्ट पर टिकी हैं।
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