
बीकानेर में सेमिनार, सीजेआइ और मेघवाल ने अंबेडकर के संविधान की ऐतिहासिक भूमिका बताई
बीकानेर, 20 सितंबर। उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई ने कहा कि पड़ोसी देशों में जहां अस्थिरता और संकट गहराता जा रहा है, वहीं भारत अनेक चुनौतियों के बावजूद अखंड, एकजुट और मजबूत खड़ा है। उन्होंने इसका श्रेय भारतीय संविधान और उसके निर्माताओं को देते हुए कहा कि डॉ. भीमराव अंबेडकर का योगदान इतिहास में स्वर्णाक्षरों में अंकित है।
गवई शनिवार को महाराजा गंगासिंह विश्वविद्यालय में बार एसोसिएशन द्वारा आयोजित ‘संविधान निर्माण के 75 वर्ष और बाबा साहेब अंबेडकर का योगदान’ विषयक सेमिनार को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि संविधान लागू होने के 75 वर्षों में भारत ने उल्लेखनीय प्रगति की है। विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका ने मिलकर लोकतंत्र को सशक्त बनाया और समाज के वंचित वर्गों को सर्वोच्च पदों तक पहुंचने का अवसर दिया।
मुख्य न्यायाधीश ने ‘वन पर्सन, वन वोट, वन वेल्यू’ के सिद्धांत को बाबा साहेब का अमूल्य उपहार बताया। उन्होंने मां अमृता देवी के बलिदान का स्मरण करते हुए कहा कि पर्यावरण संरक्षण की चेतना का आज और भी महत्व है।
केंद्रीय विधि एवं न्याय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कहा कि जहां अमेरिका और ब्रिटेन जैसे देशों में महिलाओं को मतदान का अधिकार पाने में लंबा संघर्ष करना पड़ा, वहीं बाबा साहेब के संविधान ने पुरुषों और महिलाओं को समान अधिकार एक साथ दिया। उन्होंने बीकानेर के संविधान सभा सदस्य जसवंत सिंह दाऊदसर के योगदान को भी याद किया।
सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश विजय बिश्नोई ने कहा कि संविधान की बदौलत ही भारत लोकतांत्रिक और सुरक्षित है। उन्होंने बाबा साहेब के विचारों को सामाजिक समरसता का आधार बताया। कार्यक्रम में उच्च न्यायालय के न्यायाधीश संजीव कुमार शर्मा, पुष्पेंद्र सिंह भाटी और अन्य गणमान्य अतिथि मौजूद रहे। अतिथियों ने बाबा साहेब और महाराजा गंगासिंह की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित कर संविधान की गरिमा को नमन किया।
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