
पाकिस्तानी एजेंसियों को संवेदनशील जानकारी देने का आरोप, जांच में मिले चौंकाने वाले सुराग
बीबीएन, नेटवर्क, 5 अगस्त । सीमांत जिले जैसलमेर से देश की सुरक्षा के लिहाज़ से एक बड़ी चूक सामने आई है। सुरक्षा एजेंसियों ने DRDO के गेस्ट हाउस में तैनात मैनेजर महेंद्र सिंह को गिरफ्तार किया है। आरोप है कि वह सेना और रक्षा प्रतिष्ठानों से जुड़ी गोपनीय जानकारियां पाकिस्तान की खुफिया एजेंसियों को भेज रहा था।
इस गिरफ्तारी ने देश की सामरिक सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। DRDO और सेना के उच्च अधिकारियों की मौजूदगी वाले इस गेस्ट हाउस को सैन्य परीक्षणों और रणनीतिक अभियानों के लिए विशेष रूप से उपयोग में लाया जाता रहा है। यह स्थान पोखरण फायरिंग रेंज जैसे अति संवेदनशील क्षेत्रों के निकट स्थित है।
कैसे सेंध लगा दी गई सुरक्षा की दीवार में?
आरोप है कि महेंद्र सिंह ने DRDO और सेना के वरिष्ठ अधिकारियों की गतिविधियों, नाम, पद और उपस्थिति जैसी जानकारियां पाकिस्तान को भेजीं। कुछ मामलों में संवेदनशील दस्तावेजों और लोकेशन डेटा के लीक होने की भी आशंका जताई जा रही है।
सूत्रों के अनुसार, महेंद्र सिंह काफी समय से एजेंसियों की निगरानी में था। उसकी कॉल डिटेल्स, यात्रा पैटर्न और गतिविधियों पर महीनों से नजर रखी जा रही थी। पकड़े गए डिजिटल सबूतों में मोबाइल चैट्स, संदिग्ध फाइल ट्रांसफर और गुप्त संदेशों के आदान-प्रदान के संकेत मिले हैं। इसी आधार पर जैसलमेर के चांधन गांव से उसे हिरासत में लिया गया।
जब सवालों के घेरे में आ गया देश का सुरक्षा ढांचा
यह घटना केवल एक व्यक्ति की गिरफ्तारी भर नहीं है, बल्कि पूरे सुरक्षा ढांचे की कमजोरियों को उजागर करती है। सवाल यह है कि कैसे एक सामान्य कर्मचारी इतने संवेदनशील स्थान पर काम कर रहा था और इतनी अहम जानकारी बाहर भेज पाया? क्या DRDO और रक्षा संस्थानों में कर्मचारियों की पृष्ठभूमि जांच पर्याप्त है?
अब यह मामला केंद्र सरकार और रक्षा मंत्रालय के उच्चतम स्तर तक पहुंच चुका है। DRDO, RAW, IB, मिलिट्री इंटेलिजेंस और राजस्थान पुलिस की SOG संयुक्त रूप से जांच में जुट गई है।
सिर्फ जासूसी नहीं, रणनीतिक खतरे की भी आशंका
पोखरण फायरिंग रेंज से किसी भी प्रकार की जानकारी का लीक होना केवल राष्ट्रीय सुरक्षा नहीं, बल्कि भारत की रणनीतिक स्थिति के लिए भी खतरे की घंटी है। यह वही स्थान है जहां देश की मिसाइल और रक्षा परियोजनाओं के परीक्षण होते हैं।
गिरफ्तारी के बाद DRDO और सेना के अन्य अतिसंवेदनशील ठिकानों पर तैनात कर्मचारियों की पृष्ठभूमि, गतिविधियों और संपर्कों की गहन जांच शुरू कर दी गई है।
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