
बीबीएन, नेटवर्क, 1 अगस्त। मालेगांव विस्फोट मामले की जांच कर रही एटीएस टीम के एक पूर्व सदस्य और वरिष्ठ पुलिस अधिकारी महबूब मुजावर ने एनआइए अदालत में चौंकाने वाले दावे किए हैं। उन्होंने अदालत को बताया कि जांच टीम में रहते हुए उनसे ऐसे कार्य कराए गए, जिनका मालेगांव कांड से कोई लेना-देना नहीं था। इन कार्यों में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के तत्कालीन नव नियुक्त सर संघचालक मोहन भागवत को गिरफ्तार करने का आदेश भी शामिल था।
मुजावर के इस बयान ने न सिर्फ मामले की जांच प्रक्रिया पर सवाल खड़े किए हैं, बल्कि जांच एजेंसी की मंशा और निष्पक्षता पर भी गंभीर संदेह जताया है। उन्होंने कहा कि मालेगांव विस्फोट की जांच जानबूझकर भटकाई गई और इसमें निर्दोष लोगों को फंसाया गया।
‘गलत दिशा में मोड़ी गई जांच’
गुरुवार को कोर्ट के फैसले के बाद मीडिया से बातचीत में मुजावर ने कहा, “मुझे इस मामले की जांच के लिए ‘कवरिंग पार्टी’ के रूप में उस दस सदस्यीय टीम में शामिल किया गया था। लेकिन जल्द ही मुझे एहसास हुआ कि यह पूरी जांच एक पूर्व नियोजित फर्जीवाड़ा है।”
मुजावर ने यह भी दावा किया कि दो आरोपियों रामजी कालसंगरा और संदीप डांगे को एटीएस ने भगोड़ा घोषित किया था, लेकिन हकीकत यह है कि उन्हें पहले ही मार दिया गया था। इसी तरह, एक अन्य व्यक्ति दिलीप पाटीदार को भी पुलिस ने खत्म कर दिया, हालांकि उसे इस केस में आरोपित तक नहीं बनाया गया।
‘फर्जी आरोपियों को बनाया गया निशाना’
पूर्व अधिकारी ने बताया कि इन नामों की जगह जानबूझकर साध्वी प्रज्ञा ठाकुर और लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित को आरोपी बनाया गया, और पूरे मामले को एक खास दिशा में मोड़ा गया। उन्होंने तत्कालीन एटीएस उप प्रमुख परमबीर सिंह पर इशारा करते हुए कहा कि “एक गलत व्यक्ति द्वारा की गई गलत जांच का नतीजा आज सबके सामने है।”
‘संघ प्रमुख की गिरफ्तारी का दबाव’
महबूब मुजावर ने दावा किया कि उन्हें संघ प्रमुख मोहन भागवत को गिरफ्तार करने का आदेश दिया गया था। जब उन्होंने इनकार किया, तो उन्हें निलंबित कर झूठे मामलों में फंसा दिया गया।
उन्होंने अदालत में यह भी बताया कि उन्होंने जांच के दौरान फर्जी दस्तावेज और तथ्यों को लेकर सबूत एनआइए कोर्ट को सौंपे थे। अब उन्हें इस बात का इंतजार है कि अदालत उन दस्तावेजों को लेकर क्या टिप्पणी करती है।
कोर्ट के विस्तृत आदेश के सामने आने के बाद ही यह स्पष्ट हो पाएगा कि अदालत ने मुजावर के आरोपों को किस तरह से लिया है। लेकिन फिलहाल, उनके बयान से इस बहुचर्चित विस्फोट मामले पर एक बार फिर बहस छिड़ गई है।