
बीबीएन,बीकानेर, 30 जुलाई। राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अशोक गहलोत ने बुधवार को बीकानेर दौरे के दौरान मीडिया से बातचीत में यमुना जल विवाद को लेकर बड़ा बयान दिया। उन्होंने कहा कि “अगर यमुना का पानी राजस्थान आता है, तो यह बहुत खुशी की बात होगी और ऐसा होने पर मैं मुख्यमंत्री भजनलाल को माला पहनाऊंगा।”
गहलोत ने कहा कि प्रदेश के मुख्यमंत्री स्वयं पिछले डेढ़ साल से यमुना जल लाने की बात कर रहे हैं। “एग्रीमेंट हो चुका है, डीपीआर बन रही है। मैंने तभी कहा था कि यदि पानी आ गया, तो मैं स्वयं जाकर उन्हें माला पहनाऊंगा।”
छात्रसंघ चुनावों पर सरकार को घेरा
इस दौरान राज्य में छात्रसंघ चुनावों को लेकर पूछे गए सवाल पर गहलोत ने कहा कि “छात्रसंघ चुनाव होने चाहिए। नई शिक्षा नीति से संकेत मिल रहा है कि सरकार राजनीतिक गतिविधियों को दबाना चाहती है, जबकि छात्र राजनीति से कई बड़े नेता निकले हैं – अरुण जेटली समेत कई जो विपक्ष में रहते हुए उभरे और आगे चलकर मंत्री व मुख्यमंत्री बने। यह सिलसिला चलता रहना चाहिए।”
गहलोत ने भाजपा सरकार पर हमला बोलते हुए कहा, “हम बार-बार मांग कर रहे हैं कि छात्रसंघ चुनाव हों। हमने अपने कार्यकाल में इन्हें सिर्फ स्थगित किया था। हमें उम्मीद थी कि अगर भाजपा की सरकार बनी तो पहला काम चुनाव करवाने का करेगी, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। अब बहानेबाजी बंद होनी चाहिए।”
धनखड़ प्रकरण पर भी साधा निशाना
पूर्व मुख्यमंत्री गहलोत ने भाजपा के अंदरूनी मामलों को लेकर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा, “भजनलाल शर्मा और वसुंधरा राजे की दिल्ली यात्रा को लेकर जो चर्चाएं चल रही हैं, वे सीधे धनखड़ प्रकरण से जुड़ी हैं। जब से धनखड़ साहब का एपिसोड हुआ है, सरकार खुद डिफेंस में आ गई है।”
गहलोत ने कहा कि धनखड़ को जिस तरह से मजबूर किया गया, उससे कई सवाल खड़े होते हैं। “क्या उन्होंने खुद इस्तीफा दिया या दिलवाया गया, ये सब अब तक रहस्य बना हुआ है।”
उपराष्ट्रपति के इस्तीफे पर सवाल
गहलोत ने देश के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के इस्तीफे की अफवाहों और मौन को लेकर भी सवाल खड़े किए। उन्होंने कहा, “अगर कोई सांसद इस्तीफा देता है तो कारण स्पष्ट करता है, लेकिन देश में उपराष्ट्रपति जी का इस्तीफा हो गया, यह स्पष्ट नहीं है कि क्यों।”
उन्होंने कहा, “अब तक न तो उन्होंने प्रेस से बात की, न ही सरकार ने कुछ बताया। आखिर उन्होंने किन कारणों से इस्तीफा दिया? क्या वे सरकार से नाराज़ थे? क्या मंत्रियों या प्रधानमंत्री से कोई मतभेद था? इस पर कोई जवाब नहीं दिया गया और पूरा मामला रहस्य में डूबा हुआ है।”