
बीबीएन, नेटवर्क, 3 सितंबर। भारत और रूस के रिश्ते एक बार फिर वैश्विक राजनीति का केंद्र बने हुए हैं। शंघाई सहयोग संगठन (SCO) समिट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की मुलाकात के बाद ऊर्जा और रक्षा सौदों को लेकर नई हलचल तेज हो गई है।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, रूस ने भारत को यूराल क्रूड तेल और भी रियायती दामों पर उपलब्ध कराने का प्रस्ताव दिया है। अब यह कच्चा तेल ब्रेंट क्रूड से 3 से 4 डॉलर प्रति बैरल सस्ता है। सितंबर और अक्टूबर के लिए यह छूट पहले की तुलना में कहीं अधिक है। अनुमान है कि भारत को रूस से तेल की आपूर्ति अगले महीने 10 से 20 फीसदी बढ़ सकती है, यानी प्रतिदिन करीब 1.5 से 3 लाख बैरल अतिरिक्त तेल भारत पहुंचेगा।
सिर्फ ऊर्जा ही नहीं, बल्कि रक्षा क्षेत्र में भी भारत-रूस की बातचीत ने गति पकड़ ली है। रूस की संघीय सैन्य-तकनीकी सहयोग सेवा के प्रमुख दिमित्री शुगायेव ने रूसी समाचार एजेंसी TASS को बताया कि भारत पहले से S-400 मिसाइल रक्षा प्रणाली का उपयोग कर रहा है और अब दोनों देश नई आपूर्तियों पर विचार कर रहे हैं। फिलहाल वार्ता शुरुआती चरण में है।
2018 में भारत ने रूस से 5.5 अरब डॉलर की लागत से पांच S-400 यूनिट खरीदने का समझौता किया था। इनमें से तीन भारत को मिल चुके हैं, जबकि शेष दो 2026 और 2027 तक मिलने की उम्मीद है। अब नई डील की चर्चा भारत की सामरिक क्षमता को और मजबूत करने की दिशा में अहम मानी जा रही है।
भारत ने हाल ही में ऑपरेशन सिंदूर में S-400 सिस्टम का इस्तेमाल भी किया था, जब पाकिस्तान और पीओके स्थित आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया गया था। यह प्रणाली भारत की वायु रक्षा को और अधिक सुदृढ़ बनाने वाली मानी जाती है।
उधर, अमेरिका ने रूस से भारत के बढ़ते आयात और रक्षा सौदों पर असहमति जताते हुए भारतीय उत्पादों पर 50% तक टैरिफ लगाने का निर्णय लिया है। ऐसे में भारत के लिए यह साझेदारी भू-राजनीतिक संतुलन साधने की बड़ी चुनौती भी पेश कर रही है।
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