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शिक्षक एकता समय की मांग, शिक्षा में संस्कारों का समावेश हो – यादव
बीबीएन,बीकानेर, 27 सितंबर । राजस्थान शिक्षक संघ (प्रगतिशील) के 64वें जिला शैक्षिक अधिवेशन का समापन शनिवार को शिक्षकों के बीच एकता, संस्कार और नैतिक शिक्षा के आह्वान के साथ हुआ। दो दिवसीय इस अधिवेशन की अध्यक्षता करते हुए भंगा सिंह यादव ने कहा कि आज के समय में शिक्षक एकता शिक्षा जगत की सबसे बड़ी आवश्यकता है।
जिलाध्यक्ष आनंद पारीक ने बताया कि कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि सुभाष आचार्य ने अपने संबोधन में कहा कि देश में शिक्षा का स्तर निश्चय ही ऊँचा हुआ है, किंतु नैतिक और संस्कारवान शिक्षा के अभाव ने समाज में विभाजन की स्थिति पैदा की है। धर्म, जाति और भाषा के नाम पर बढ़ता अलगाव इसी दिशा का परिणाम है।
प्रदेश महामंत्री यतीश वर्मा ने कहा कि शिक्षा तभी सार्थक है जब उसमें संस्कारों का समावेश हो। उन्होंने कहा, “बिना संस्कारों की शिक्षा अधूरी है, और अधूरी शिक्षा राष्ट्र को दिशा नहीं दे सकती।” प्रदेश महिला उपाध्यक्ष अंजुमन आरा ने कहा कि शिक्षक समाज आज गांव-गांव, ढाणी-ढाणी ज्ञान का दीप प्रज्वलित कर रहा है। उन्होंने सरकार से शिक्षकों के सम्मान की पुरज़ोर मांग की।
जिला मंत्री मोहम्मद असलम ने कहा कि विश्वभर में शिक्षक का सम्मान बढ़ा है, परंतु भारत में शिक्षक अब भी अपनी समस्याओं से जूझ रहा है। उन्होंने कहा कि “समस्याओं के बोझ तले दबा शिक्षक अपने मूल कार्य – शिक्षा – से दूर होता जा रहा है।” कार्यक्रम में जिलाध्यक्ष आनंद पारीक ने कहा कि राष्ट्र निर्माण में शिक्षकों की भूमिका केंद्रीय है। उन्होंने शिक्षकों से आह्वान किया कि वे उच्च आदर्शों को स्थापित करते हुए समाज में शिक्षा का माहौल सुदृढ़ करें।
अधिवेशन में वरिष्ठ शिक्षक नेता अनिल वर्मा, नारायण राम जाट, सुंदरलाल बारूपाल, गुलाबनाथ योगी सहित कई शिक्षकों ने विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम के दौरान शैक्षिक मंथन सत्र में अनेक प्रस्ताव पारित किए गए जिन्हें प्रदेश नेतृत्व को भेजा गया। संचालन गोविंद भार्गव ने किया।
इस अवसर पर संगठन से जुड़े रविंद्र नाथ, हनुमान प्रसाद, रामकुमार गोदारा, रमेश स्वामी, ओमप्रकाश शर्मा, गौरीशंकर शर्मा, अब्दुल बहाव, अनिल थानवी, जगदीश प्रसाद, किशनलाल शर्मा, मंजू मीणा, नंदलाल, राजविंदर, सूर्यप्रकाश शास्त्री, बृजमोहन सिंह, गणपत राम सुथार, अशोक बारूपाल, गोपाल पारीक, राजेंद्र सिंह, मधु गुप्ता आदि उपस्थित रहे।
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