
फैटी लिवर व क्रोनिक हेपेटाइटिस अब बन रहे हैं स्वास्थ्य संकट
बीबीएन, बीकानेर,21 अगस्त। पेट और आंतों से जुड़ी बीमारियां अब महज़ व्यक्तिगत तकलीफ़ का विषय नहीं रहीं, बल्कि एक बड़े सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट का रूप ले रही हैं। एपेक्स अस्पताल के गैस्ट्रोलॉजिस्ट डॉ. श्रेयांश जैन ने पत्रकारों को बताया कि बदलती जीवनशैली, असंतुलित भोजन और तनाव की वजह से देश में इरिटेबल बाउल सिंड्रोम (IBS), गैस्ट्रो-इसोफेगल रिफ्लक्स डिजीज (GERD), फैटी लिवर और क्रोनिक हेपेटाइटिस जैसी बीमारियों के मामले तेज़ी से सामने आ रहे हैं।
क्लिक करें और देखें पूरा वीडियो
डॉ. जैन के अनुसार, इन बीमारियों का ख़तरा इसलिए भी बढ़ रहा है क्योंकि मरीज शुरुआती लक्षणों को नज़रअंदाज़ कर देते हैं। उन्होंने कहा, “लगातार पेट फूलना, सीने में जलन, खट्टी डकारें, भोजन पचने में कठिनाई और बार-बार दस्त या कब्ज़ जैसी समस्याएं छोटी लग सकती हैं, लेकिन ये गंभीर गैस्ट्रो-इंटेस्टाइनल डिसऑर्डर का संकेत हो सकती हैं।”
विशेषज्ञों का मानना है कि चिकित्सा विज्ञान में उपलब्ध जांचें जैसे एंडोस्कोपी, कोलोनोस्कोपी और लिवर फंक्शन टेस्ट इन रोगों की सही पहचान समय रहते कर सकती हैं। लेकिन आम धारणा यही है कि लोग तब तक जांच नहीं कराते जब तक बीमारी गंभीर रूप नहीं ले लेती। यही वजह है कि क्रोनिक पैंक्रियाटाइटिस और लिवर सिरोसिस जैसे जटिल मामले अस्पतालों तक पहुंचते हैं।
डॉ. जैन ने समाज के लिए चेतावनी भी दी। उनके अनुसार, मोटापा, धूम्रपान, शराब और फास्ट फूड जैसी आदतें पेट की बीमारियों को कहीं ज़्यादा खतरनाक बना रही हैं। उन्होंने साफ़ कहा, “अगर जीवनशैली पर काबू नहीं पाया गया तो आने वाले वर्षों में पेट और लिवर से जुड़ी बीमारियां हमारे स्वास्थ्य तंत्र के लिए सबसे बड़ी चुनौती होंगी।” इस अवसर पर डॉक्टर नीलेश नामा ने रीढ़ की हड्डी में बढ़ते दर्द के मामलों, सर्वाइकल ओर युवाओं में बढ़ते तनाव के बारे में जानकारी ओर निदान बताए।
—