
बीबीएन, नेटवर्क, 1 अगस्त। भारतीय सेना अब देश के स्वदेशी ड्रोन निर्माताओं की तकनीकी ताकत को हिमालय की ऊंचाइयों पर परखने जा रही है। सेंट्रल कमान की अगुवाई में यह खास प्रतियोगिता अगस्त महीने में हिमाचल प्रदेश के स्पीति घाटी स्थित सुमडो में आयोजित की जाएगी। इस आयोजन का मकसद है – बिना किसी चीनी पुर्जे के बने ड्रोन की असली काबिलियत को परखना और उन्हें सेना के ऑपरेशनल सिस्टम में शामिल करना।
सेना के इस खास मिशन में ड्रोन फेडरेशन ऑफ इंडिया भी साथ होगा। बता दें कि सेंट्रल कमान को हिमाचल और उत्तराखंड में चीन सीमा यानी एलएसी की सुरक्षा की जिम्मेदारी मिली हुई है। ऐसे में स्पीति जैसे दुर्गम इलाके में ड्रोन टेस्टिंग का यह कदम काफी अहम माना जा रहा है।
ऊंचाई, बर्फ और तेज हवाओं के बीच चलेगी असली परीक्षा
प्रतियोगिता में ड्रोन निर्माताओं को 10,700 फीट की ऊंचाई पर अपने ड्रोन की परफॉर्मेंस दिखानी होगी। ये ड्रोन तेज़ हवाओं, बर्फीले मौसम और कम ऑक्सीजन जैसे मुश्किल हालातों में कैसे काम करते हैं, यही देखा जाएगा। ड्रोन की उड़ान क्षमता, बैटरी की टिकाऊपन और रियल टाइम ऑपरेशन जैसे पहलुओं पर फोकस रहेगा।
रेस से लेकर फील्ड ट्रायल तक, हर मोर्चे पर होगी जांच
यह प्रतियोगिता सिर्फ एक शो नहीं, बल्कि कई स्तरों पर होगी। इसमें ड्रोन रेस, बाधा दौड़, और कठिन फील्ड ट्रायल जैसे चरण शामिल हैं। सेना का साफ कहना है – जो ड्रोन इन मुश्किल हालातों में खरे उतरेंगे, उन्हें ऑपरेशनल सिस्टम का हिस्सा बनाया जाएगा।
आत्मनिर्भर भारत को मिलेगा बढ़ावा
सेना की इस पहल को मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत अभियान से भी जोड़ा जा रहा है। इससे देश में ही एडवांस ड्रोन टेक्नोलॉजी विकसित करने का रास्ता खुलेगा। साथ ही इनोवेटर्स, स्टार्टअप्स और रक्षा कंपनियों को सेना के साथ काम करने का मौका भी मिलेगा।
प्रतियोगिता में तीन वर्गों में भागीदारी होगी –
1. इन-हाउस डिजाइन ड्रोन
2. ओपन कैटेगरी
3. ओरिजिनल इक्विपमेंट मैन्युफैक्चरर्स (OEMs)
जानकारी के मुताबिक यह आयोजन दो चरणों में होगा – पहला 10 से 15 अगस्त और दूसरा 20 से 24 अगस्त तक चलेगा। सेना को उम्मीद है कि यह प्रतियोगिता न सिर्फ तकनीक के स्तर पर देश को मजबूती देगी, बल्कि सीमाओं की निगरानी में भी एक बड़ा बदलाव लेकर आएगी।