
बीबीएन,बीकानेर, 5 अगस्त। सरदार पटेल मेडिकल कॉलेज, बीकानेर तथा अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) जोधपुर के माइक्रोबायोलॉजी एवं मेडिसिन विभाग के संयुक्त तत्वावधान में मंगलवार को मेलियोइडोसिस विषयक एक दिवसीय जागरूकता सह-सीएमई का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम बीकानेर के ऋद्धि सिद्धि रिसॉर्ट में सम्पन्न हुआ, जिसमें देशभर से चिकित्सा विशेषज्ञ, वैज्ञानिक एवं शोधार्थी सम्मिलित हुए।
मुख्य वक्ता भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर), नई दिल्ली की वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. हरप्रीत कौर ने मेलियोइडोसिस रोग की गम्भीरता, लक्षणों, पहचान और रोकथाम की विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने बताया कि यह रोग बर्कहोल्डेरिया स्यूडोमालेई नामक जीवाणु के संक्रमण से होता है, जो मुख्यतः मिट्टी और जल के माध्यम से फैलता है तथा मधुमेह, यकृत/गुर्दा रोग एवं दुर्बल प्रतिरक्षा प्रणाली वाले रोगियों के लिए अत्यंत घातक सिद्ध हो सकता है।
डॉ. कौर ने यह भी अवगत कराया कि आईसीएमआर द्वारा 15 राज्यों में मेलियोइडोसिस नियंत्रण हेतु नेटवर्क केंद्र स्थापित किए गए हैं, जिनमें एम्स जोधपुर को पश्चिम भारत के लिए एक प्रमुख केंद्र के रूप में चयनित किया गया है। उन्होंने यह भी चेताया कि राजस्थान के सीमावर्ती एवं अति वर्षा प्रभावित क्षेत्रों में इस संक्रमण के फैलने की आशंका अधिक है।
कस्तूरबा मेडिकल कॉलेज, मणिपाल के वरिष्ठ प्रोफेसर एवं प्रमुख शोधकर्ता डॉ. चिरंजय मुखोपाध्याय ने देश में मेलियोइडोसिस की वर्तमान स्थिति एवं इसके उपचार की दिशा में किए गए शोध कार्यों की जानकारी दी। एम्स जोधपुर के अधीक्षक डॉ. महेश देवनानी ने संक्रामक रोगों के उपचार में सावधानी व वैज्ञानिक दृष्टिकोण की आवश्यकता पर बल दिया।
डॉ. गोपाल कृष्ण बोहरा (विभागाध्यक्ष, मेडिसिन विभाग) तथा डॉ. दीपक कुमार (सह-आचार्य) ने एम्स जोधपुर में मेलियोइडोसिस के उपचार अनुभव व रोगियों के अध्ययन प्रस्तुत किए माइक्रोबायोलॉजी विभागाध्यक्ष डॉ. विभोर टाक ने इस रोग की जांच पद्धतियों पर प्रकाश डाला। एसपीएमसी की विभागाध्यक्ष डॉ. तरुणा स्वामी ने सभी अतिथियों का पुष्पगुच्छ भेंट कर स्वागत किया।
कार्यक्रम में डॉ. संजय कोचर, डॉ. दीपशिखर आचार्य, डॉ. प्रवीण प्रजापत, डॉ. दिनेश गर्ग, शोध वैज्ञानिक मीनाक्षी पारीक, शैलेन्द्र प्रजापत, रेजिडेंट चिकित्सक एवं अनेक शोधार्थी उपस्थित रहे। इस अवसर पर एसपीएमसी के प्राचार्य डॉ. गुंजन सोनी तथा पीबीएम अस्पताल के अधीक्षक डॉ. सुरेंद्र कुमार ने आयोजन की सराहना करते हुए इसे जनस्वास्थ्य हित में महत्वपूर्ण कदम बताया।
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