
हिसार में ओशो ध्यान उपवन में साधकों ने किया चक्रमण ध्यान, समाधि का अनुभव
बीबीएन, नेटवर्क, 24 सितंबर। ओशो ध्यान उपवन में बुधवार को आध्यात्मिक साधना का विशेष आयोजन किया गया। प्रख्यात गुरु स्वामी शैलेंद्र सरस्वती के मार्गदर्शन में सूर्योदय से पहले लगभग 75 साधक जंगल में चक्रमण ध्यान की प्राचीन पद्धति से गुज़रे। यह वही विधि है जिसका उल्लेख भगवान बुद्ध ने अपने शिष्यों को साधना के दौरान किया था।
ध्यान यात्रा के दौरान साधकों ने पैरों की गति और श्वास पर ध्यान केंद्रित किया। निर्धारित चरणों में श्वास भीतर लेना और छोड़ना साधना का हिस्सा रहा, जिससे साधकों का मन शांत हुआ और ध्यान में गहराई स्वतः उतर आई। सूर्योदय के स्वागत के साथ यह प्रक्रिया लगभग 40 मिनट तक जारी रही।
इसके बाद साधकों ने वृक्षों की छाया में आसन और प्राणायाम का अभ्यास किया। तीव्र श्वास-प्रश्वास और ओंकार नाद श्रवण ने साधकों को समाधि की अनुभूति कराई। स्वामी शैलेंद्र ने बताया कि विज्ञान भैरव तंत्र में 112 ध्यान विधियों का उल्लेख है, जिनमें से 12 अनाहत नाद पर आधारित हैं। ओंकार की ध्वनि को सुनते-सुनते साधक सहज ही समाधि की ओर अग्रसर हो जाते हैं।
आयोजन समिति के अनुसार, ध्यान शिविर रविवार तक चलेगा। अंतिम दिन सुबह 7 बजे से दोपहर 1:30 बजे तक अर्धदिवसीय ध्यान शिविर आयोजित होगा, जिसमें शहरवासी भी शामिल हो सकेंगे। इस अवसर पर मां अमृत प्रिया (सोनीपत) साधकों को विज्ञान भैरव तंत्र की विधियों का मार्गदर्शन देंगी। वहीं, स्वामी संजय, मैन प्रेम सांची, स्वामी चंद्रशेखर, स्वामी चैतन्य सागर और स्वामी नरेंद्र भाटिया ध्यान संचालन की जिम्मेदारी निभा रहे हैं।
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