
नकली और मिलावटी दवाओं पर शिकंजा कसने की तैयारी
बीबीएन, नेटवर्क, 12 अक्टूबर। सूबे में दवाओं की गुणवत्ता पर बड़ा सवाल खड़ा हो गया है। खाद्य सुरक्षा एवं औषधि नियंत्रण आयोग (एफएसडीसीसी) की ताज़ा आंतरिक रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि इस वित्तीय वर्ष के सितंबर माह तक 81 दवाएं गुणवत्ता परीक्षण में फेल रही हैं। इन दवाओं में आम उपयोग की एंटीबायोटिक्स, पैरासिटामोल, हार्ट और लीवर से जुड़ी दवाएं भी शामिल हैं।
रिपोर्ट के अनुसार, 1 अप्रैल से 30 सितंबर 2025 के बीच राज्यभर से 4125 दवा नमूने जांच के लिए एकत्र किए गए थे, जिनमें से 81 नमूने गुणवत्ता मानकों पर खरे नहीं उतर सके। वहीं, औषधि फैक्ट्रियों के निरीक्षण के दौरान वर्ष 2024-25 में लिए गए 5607 नमूनों में से 168 नमूने इसी तरह की जांचों में असफल पाए गए थे।
एफएसडीसीसी की आयुक्त टी. शुभमंगला ने बताया कि हाल ही में तीन बच्चों की संदिग्ध मौतों के बाद डेक्सट्रोमेथॉर्फन कफ सिरप के छह नमूने जांचे गए थे, और सभी नमूने असंतोषजनक पाए गए उन्होंने कहा कि, “हमने कई अन्य कफ सिरप के नमूने भी एकत्र किए हैं, जिनकी रिपोर्ट अभी लंबित है।” औषधि नियंत्रण अधिकारियों के अनुसार, ये कफ सिरप मुख्यतः हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड की फैक्ट्रियों में तैयार किए गए थे।
राज्य औषधि नियंत्रक अजय पाठक ने कहा कि “हमने सभी दवा वितरकों को निर्देश दिया है कि वे किसी भी बाहरी राज्य की दवा—खासकर कफ सिरप—को बाजार में बेचने से पहले राजस्थान मेडिकल सर्विसेज कॉरपोरेशन लिमिटेड (RMSCL) से जांच करवाएं।” पाठक ने यह भी बताया कि कम से कम 65 दवा दुकानें वर्तमान में विभाग की निगरानी में हैं। इन पर नकली, दूषित या मिलावटी दवाएं बेचने का आरोप है।
“कई कंपनियों के उत्पाद लगातार परीक्षण में असफल हो रहे हैं, इसलिए उनकी उत्पादन प्रक्रिया और गुणवत्ता नियंत्रण प्रणाली की गहन जांच की जा रही है। यदि कोई गंभीर उल्लंघन पाया गया, तो कार्रवाई निश्चित है,” पाठक ने कहा। रिपोर्ट के अनुसार, हिमाचल प्रदेश के सोलन स्थित एक निर्माता के 18 नमूने फेल पाए गए हैं।
इसके बाद राजस्थान के 13, उत्तराखंड के 11, गुजरात के 4, पंजाब, सिक्किम और हरियाणा के 3-3, जबकि बेंगलुरु, तेलंगाना, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और जम्मू के 2-2 नमूने असफल रहे छत्तीसगढ़ का एक नमूना भी गुणवत्ता जांच में फेल पाया गया।
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