
बीबीएन, नेटवर्क, 13 अगस्त। दिल्ली के बाद अब राजस्थान हाईकोर्ट ने भी राज्य में बढ़ते आवारा कुत्तों और मवेशियों के खतरे पर सख्ती दिखाई है।
जोधपुर में आए दिन हो रहे हमलों और नागरिकों की सुरक्षा पर बढ़ते खतरे को देखते हुए अदालत ने सरकार व नगर निकायों को स्पष्ट चेतावनी दी है कि लापरवाही बर्दाश्त नहीं होगी। कोर्ट ने शेल्टर होम, स्टाफ विवरण, विशेष अभियान और शिकायत तंत्र जैसे कई ठोस कदम तत्काल लागू करने के निर्देश दिए हैं।
नगर निकायों से पूछे कड़े सवाल
राजस्थान हाईकोर्ट की खंडपीठ जस्टिस कुलदीप माथुर और जस्टिस रवि चिरानिया ने 11 अगस्त को इस मुद्दे पर सुनवाई करते हुए सरकार और नगर निकायों से कड़े सवाल पूछे। यह स्वतः संज्ञान मामला 31 जुलाई को तब सामने आया जब जोधपुर शहर में आवारा कुत्तों और मवेशियों के हमलों की लगातार घटनाएं रिपोर्ट हुईं। अदालत ने इस मामले में वरिष्ठ अधिवक्ता डॉ. सचिन आचार्य, अधिवक्ता प्रियंका बोराणा और हेली पाठक को न्याय मित्र नियुक्त किया था।
न्याय मित्रों की रिपोर्ट में खुलासा
सुनवाई में न्याय मित्रों ने कहा कि नगर निगम, राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण और अन्य एजेंसियां नागरिकों की सुरक्षित आवाजाही सुनिश्चित करने की कानूनी जिम्मेदारी निभाने में नाकाम रही हैं।अधिकारियों की लापरवाही के कारण हमलों और डॉग बाइट के मामलों में तेजी से इजाफा हुआ है, जिससे न केवल आम लोगों की जान जोखिम में है बल्कि राजस्थान की पर्यटन छवि भी धूमिल हो रही है।
एम्स जोधपुर की शिकायत
10 अगस्त को एम्स जोधपुर प्रशासन ने न्याय मित्र प्रियंका बोराणा को पत्र भेजकर परिसर में आवारा कुत्तों की मौजूदगी और मरीजों व स्टाफ पर हमलों की शिकायत की। हाईकोर्ट ने इस मुद्दे को गंभीर मानते हुए रिकॉर्ड में दर्ज किया।
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