
बीबीएन, नेटवर्क,8 सितंबर। ओशो की शिक्षाओं और उनकी पारिवारिक स्मृतियों को जीवित रखने का महत्वपूर्ण कार्य उनके छोटे भाई स्वामी शैलेंद्र सरस्वती और उनकी पत्नी माँ अमृत प्रिया कर रहे हैं।
दोनों पति-पत्नी ओशो की आध्यात्मिक परंपरा को आगे बढ़ाने के साथ-साथ उनकी जीवन यात्रा से जुड़ी स्मृतियों और उपयोग की गई वस्तुओं को संरक्षित कर रहे हैं।
कुमाशपुर रोड, दीपालपुर स्थित श्री रजनीश ध्यान मंदिर (रजनीश फ्रेग्रस आश्रम) में उन्होंने ‘वात्सल्य’ नामक विशेष स्थान बनाया है।
यहाँ ओशो के माता-पिता की तस्वीरें, चरण पादुका, उनके वस्त्र, टेप रिकॉर्डर, कुर्सी, बक्सा, ओशो की तस्वीरें, माला, गान से जुड़े सामान और अन्य कई वस्तुएँ सुरक्षित रखी गई हैं।
स्वामी शैलेंद्र सरस्वती का कहना है कि यह संग्रह केवल पुराने सामान तक सीमित नहीं है, बल्कि यह उन संबंधों और संवेदनाओं का प्रतीक है जिसने ओशो के जीवन और विचारों को आकार दिया। हर वस्तु उस आध्यात्मिक यात्रा की कहानी कहती है, जिसने एक महान चिंतक और सद्गुरु को जन्म दिया।
माँ अमृत प्रिया का कहना है कि यह प्रयास भविष्य की पीढ़ियों को ओशो के विचारों से जोड़ने के साथ-साथ उनके पारिवारिक जीवन की सहजता और मानवीयता को समझने का अवसर देगा।
स्वामी शैलेंद्र सरस्वती और माँ अमृत प्रिया का यह प्रयास ओशो की शिक्षाओं को संजोते हुए आने वाले समय में आध्यात्मिक चेतना का मार्ग प्रशस्त करेगा।
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