
बीबीएन, नेटवर्क, 28 जुलाई। भारत और इंग्लैंड के बीच ओल्ड ट्रैफर्ड में खेला गया चौथा टेस्ट रोमांच की चरम सीमा तक पहुंचने के बाद ड्रॉ पर खत्म हुआ। लेकिन यह महज एक ड्रॉ नहीं था — भारतीय बल्लेबाजों के जज्बे और इंग्लैंड की हताशा ने इस मुकाबले को यादगार बना दिया।
मैच का आख़िरी दिन पूरी तरह भारतीय बल्लेबाज़ों के नाम रहा। रविंद्र जडेजा और वाशिंगटन सुंदर ने शतक के करीब पहुंचकर इंग्लैंड की जीत की उम्मीदों को दरकिनार कर दिया। जडेजा ने 89 और सुंदर ने 80 रन की नाबाद पारियां खेलीं। इससे पहले भारतीय कप्तान ने मैच को ड्रॉ मानने की पेशकश ठुकरा दी, जो इंग्लैंड कप्तान बेन स्टोक्स की ओर से आई थी।
ड्रेसिंग रूम से मैदान तक छाया तनाव
पांचवें दिन के अंतिम घंटे में स्टोक्स ने जब ड्रॉ के लिए हाथ मिलाने की पेशकश की, तो भारतीय बल्लेबाजों ने स्पष्ट रूप से इंकार कर दिया। जडेजा और सुंदर दोनों ही शतक के करीब थे और मैदान छोड़ना उन्हें मंज़ूर नहीं था। स्टोक्स के चेहरे पर नाराजगी साफ झलकने लगी।
इस घटनाक्रम के बाद इंग्लैंड खेमे में बेचैनी बढ़ गई। खिलाड़ी जैक क्रॉली और बेन डकेट भी स्टोक्स से सवाल करते दिखे — “आख़िर भारत क्यों खेल जारी रखना चाहता है?” जवाब में स्टोक्स ने हल्के-फुल्के अंदाज़ में कहा, “क्या ये लोग हैरी ब्रूक और डकेट के खिलाफ शतक जमाना चाहते हैं?” इस पर जडेजा मुस्कुराते हुए बोले — “तो क्या हम ऐसे ही चले जाएं?”
खेल भावना या रणनीति? उठा विवाद
मैच खत्म होने से पहले इंग्लैंड की ओर से कुछ आसान गेंदें फेंकी गईं, जिससे खेल भावना पर सवाल उठने लगे। आलोचकों का मानना है कि इंग्लैंड ने अपने गुस्से और निराशा को खेल में उतार दिया। वहीं भारत की ओर से पूरे आत्मविश्वास के साथ खेला गया यह दिन, ‘हार न मानने’ वाले रवैये की मिसाल बन गया।
भले ही मैच का नतीजा ड्रॉ रहा, लेकिन इस मुकाबले में भावनाओं, रणनीतियों और खेल के असली रोमांच ने दर्शकों को अंत तक बांधे रखा।