
बीबीएन, नेटवर्क, 23 अगस्त। जैसलमेर जिले के फतेहगढ़ क्षेत्र के मेघा गांव में उस समय उत्सुकता का माहौल बन गया जब ग्रामीणों को झील की सफाई और गहरी खुदाई के दौरान हड्डियों जैसे अवशेष और पत्थरों पर अजीब निशान दिखाई दिए। ग्रामीणों का मानना है कि ये संरचनाएं करोड़ों साल पुराने डायनासोर जीवाश्म हो सकती हैं।
गांव के निवासी श्याम सिंह ने बताया कि खुदाई के दौरान उन्हें कंकाल जैसा ढांचा और पत्थरों पर छाप मिली। शक होने पर उन्होंने तुरंत प्रशासन और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) को सूचना दी। इसके बाद उपखंड अधिकारी (एसडीएम) और अधिकारियों की टीम मौके पर पहुंची और जांच की।
एक अन्य ग्रामीण राम सिंह भाटी ने कहा कि लंबे आकार की हड्डीनुमा संरचना देखकर गांव वाले हैरान रह गए। ग्रामीणों ने तस्वीरें खींचकर जिला प्रशासन को भेजीं। इसके बाद विशेषज्ञों की टीम गांव का दौरा करने पहुंची।
विशेषज्ञों की राय
स्थानीय भूवैज्ञानिक नारायण दास इंखिया ने बताया कि पहली नजर में यह संरचना डायनासोर जीवाश्म जैसी लग रही है। उन्होंने कहा कि इनका आकार मध्यम है और इनमें पंख जैसी छाप भी देखी जा सकती है। हालांकि वैज्ञानिक पुष्टि तभी संभव है जब जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (GSI) इनका परीक्षण करेगा। भूवैज्ञानिकों के अनुसार, जैसलमेर की चट्टानें लगभग 18 करोड़ वर्ष पुरानी हैं और यह इलाका जुरासिक काल में डायनासोर का निवास स्थल रहा होगा।
क्या कहती है पुरानी खोजें
जैसलमेर पहले भी इस तरह की खोज का गवाह रह चुका है। थियात गांव में डायनासोर की हड्डियां मिली थीं। यहां पदचिह्न और वर्ष 2023 में अंडा भी खोजा गया था। अगर मेघा गांव में मिले अवशेष डायनासोर जीवाश्म साबित होते हैं तो यह जैसलमेर में इस तरह की पाँचवीं खोज होगी।
—